Saturday, 5 November 2016

DENGUE (डेंगू)



पूरे विश्व में हर साल 5 से 10 करोड़ मरीज डेंगू बुखार से प्रभावित होते हैं। इस बुखार को 'हड्डी तोड़ बुखार' नाम भी दिया गया है। अगर इसका सही उपचार नहीं हुआ तो यह बुखार (1) डेंगू हेमोरेजिक फीवर, (2) डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। यह एक वायरल बुखार है, जो 4 प्रकार के डेंगू वायरस (डी-1, डी-2, डी-3, डी-4) से होता है। यह वायरस दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है।

ये मच्छर एडिज इजिप्टी तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। यह बुखार सिर्फ मच्छरों से फैलता है। मरीज दूसरे स्वस्थ आदमी को यह बीमारी नहीं देता है। यह मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं,  जैसे घर के बाहर पानी की टंकियाँ या जानवरों के पीने की हौद, कूलर में इकट्ठा पानी, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी, गमलों में इकट्ठा पानी, फूटे मटके में इकट्ठा पानी आदि। इसके विपरीत मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है। इन्हीं मच्छरों से चिकनगुनिया भी फैलता है।

साधारणतः डेंगू की शुरुआत 1 से 5 दिनों तक तेज बुखार व ठंड के साथ होती है। अन्य लक्षण जैसे सिरदर्द, कमर व जोड़ों में दर्द, थकावट व कमजोरी, हल्की खाँसी व गले में खराश, उल्टी व शरीर पर लाल-लाल दाने भी दिखाई देते हैं। शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो-तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है।

डेंगू हेमोरेजिक बुखार में उपरोक्त लक्षणों के अलावा प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में कहीं से भी खून बहना शुरू हो सकता है, जैसे नाक से, दाँतों व मसूड़ों से, खून की उल्टी व मल में खून आना आदि। इसके साथ मरीज के हाथ-पाँव ठंडे हो सकते हैं व मरीज अंततः शॉक में चला जाता है या उपचार के अभाव में उसकी मृत्यु हो सकती है।
                     

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